राम की मर्यादा पर प्रवचन देने वाले कुमार विश्वास में थोड़ी सी भी मर्यादा है तो अपनी पत्नी मंजू शर्मा का इस्तीफा करवाए।



 पूर्व CM बताए कि CM रहते हुए संगीता आर्य और मंजू शर्मा को क्यों आरपीएससी का सदस्य बनाया 


राजस्थान का मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत ने वर्ष 2020 में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) में एक साथ चार सदस्यों की नियुक्ति की। इनमें से एक बाबूलाल कटारा शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र बेचने के आरोप में जेल में है। आयोग की दो सदस्य श्रीमती संगीता आर्य और मंजू शर्मा से एसीबी पूछताछ कर रही है। यह पूछताछ गहलोत के शासन में घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रहे गोपाल केसावत की गिरफ्तारी के बाद हुई है। 


स्थानीय निकाय के ईओ पद की भर्ती के मामले में दोनों महिला सदस्यों से पूछताछ हो रही है। इनमें दोनों सदस्यों ने ही आरएएस और एसआई 2021 भर्ती परीक्षा के इंटरव्यू भी लिए थे। 


यह परीक्षा भी जांच के दायरे में है। दोनों महिला सदस्यों पर लगे आरोपों की सच्चाई तो जांच के बाद ही पता चलेगी, लेकिन सवाल उठता है कि अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए आखिर किस आधार पर संगीता आर्य और मंजू शर्मा को आयोग का सदस्य नियुक्त किया? सब जानते हैं कि आयोग के माध्यम से ही प्रदेश की अधिकांश भर्ती परीक्षाएं ली जाती है। अभ्यर्थियों के चयन में सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अब जांच पड़ताल में पता चल रहा है कि गहलोत द्वारा नियुक्त सदस्यों ने ईमानदारी के साथ काम नहीं किया। संगीता आर्य की नियुक्ति तब की गई, जब उनके पति निरंजन आर्य गहलोत सरकार में मुख्य सचिव थे

 

सब जानते हैं कि इन दिनों कुमार विश्वास राम और रामायण पर प्रवचन देते हैं।  धोती कुर्ता पहनकर और माथे पर तिलक लगाकर स्वयं को रामायण का प्रख्यात विद्वान समझते हैं।इसमें कोई दो राय नहीं कि भगवान राम ने जीवन में मर्यादाओं का पालन किया, लेकिन सवाल उठता है  जो व्यक्ति दूसरों को मर्यादा का उपदेश देता है उससे भी यह उम्मीद की जाती है कि वह मर्यादाओं का पालन करें। अब जब पत्नी मंजू शर्मा पर आरोप लग रहे हैं, तब मर्यादाओं का पालन करते हुए अपनी पत्नी का आयोग के सदस्य के पद से इस्तीफा करवाना चाहिए। 18 लाख रुपए की रिश्वत के प्रकरण में जिस तरह मंजू शर्मा से पूछताछ हो रही है, यह बेहद ही गंभीर मामला है। अब यदि कुमार विश्वास अपनी पत्नी का इस्तीफा नहीं करवाते हैं तो यह माना जाएगा कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है

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