राजस्थान विधानसभा चुनाव: दस साल में पांच मंत्री, फिर भी पिंकसिटी का सार्वजनिक परिवहन बेपटरी

 सार्वजनिक परिवहन शहर की बड़़ी समस्या बन चुकी है। पिछले 10 साल में भाजपा और कांग्रेस सरकार में सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के कोई काम नहीं किए गए। पिछले 10 साल की बात करें तो राजधानी की आठ विधानसभा सीटों से पांच मंत्री बने। खास बात है कि भाजपा सरकार में झोटवाड़ा से जीते राजपाल सिंह शेखावत नगरीय विकास मंत्री बने और कांग्रेस सरकार में सिविल लाइंस से जीते प्रताप सिंह खाचरियावास परिवहन मंत्री बने। इसके बावजूद जयपुर के सार्वजनिक परिवहन को सही दिशा नहीं मिल पाई।


मेट्रो : आठ साल में 12 किमी बढ़ी


जब जयपुर में मेट्रो का संचालन शुरू हुआ, उस समय चुनिंदा शहरों में ही मेट्रो का संचालन होता था। जयपुर के बाद जिन शहरों में मेट्रो शुरू हुई वहां विस्तार तेजी से हुआ। राजधानी में विस्तार की गति बेहद धीमी रही। पहले चरण की शुरुआत के पांच वर्ष में महज 2.4 किमी का ही विस्तार हो पाया है। वहीं, आठ साल में 12.03 किमी ही मेट्रो आगे बढ़ पाई। अम्बाबाड़ी से सीतापुरा तक 23.5 किमी का चरण धरातल पर नहीं आ रहा है।


ऐसे समझें धीमी चाल

-फेज 1 ए: (मानसरोवर से चांदपोल तक)- रूट:9.63 किमी: तीन जून, 2015 को इस रूट पर संचालन शुरू हुआ।

-फेज 1बी: (चांदपोल से बड़ी चौपड़)- रूट:2.4 किमी: काम बेहद धीमी गति से चला।

-फेज1 सी: (बड़ी चौपड़ से ट्रांसपोर्ट नगर)-रूट: 2.85 किमी: 21 सितम्बर को इसका शिलान्यास हो चुका है। अप्रेल, 2027 तक काम पूरा करना है।

-फेज 1 डी: (मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से 200 फीट बाइपास तक)-रूट: 1.35 किमी: अभी इसका काम शुरू नहीं हुआ है।

-फेज-2 : अम्बाबाड़ी से सीतापुरा तक 23.5 किमी का चरण धरातल पर नहीं आ रहा है।





सिटी बस : पांच लाख यात्री बेबस

राजधानी में जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज (जेसीटीएसएल) की बसों की संख्या पिछले 10 साल में बढ़ने की बजाय कम हो गई हैं। वर्ष 2013 में जहां शहर में 400 सिटी बसें संचालित होती थीं वहीं, वर्तमान में 200 बसें ही दौड़ रही हैं। शहर की आबादी के हिसाब से वर्तमान में 1500 बसों का संचालन होना चाहिए। लेकिन 10 साल में भाजपा और कांग्रेस सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट को नहीं बढ़ा पाई।





एक दशक में सिटी बसों की स्थिति

---2013 में 400 बसें संचालित

-- 2011 में खरीदी थीं 280 बसें, 2020 में सभी कंडम हो गईं

--- 2013 में खरीदी 120 बसें, मार्च 2023 में कबाड़ हो गईं

-- 2016 और 2020 में 200 बसें नई आईं जो वर्तमान में संचालित

--300 इलेक्ट्रिक बसें आनी हैं, जो अब तक नहीं आईं

-- 200 बसें संचालित हैं वर्तमान में

-- 1.50 लाख यात्री सफर करते हैं

--1500 बसें होनी चाहिए आबादी के हिसाब से


ई रिक्शा : नौ साल में पॉलिसी तक नहीं बन पाई

राजधानी में नौ साल पहले शहर की लाइफ लाइन के रूप में सामने आए ई रिक्शा बिना पॉलिसी के परेशानी के रूप में सामने आ रहे हैं। इस दौरान भाजपा और कांग्रेस सरकार ने ई रिक्शा को शहर में संचालित करनेे लिए कोई पुख्ता पॉलिसी नहीं बनाई। इसका नतीजा यह रहा कि ई रिक्शा की संख्या तो बढ़ती गई लेकिन इनके संचालन की कोई व्यवस्था नहीं हुई। पिछले दिनों ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में 10 जोन में ई रिक्शा चलाने का निर्णय हुआ है।





यह भी जानें

-2014 से शुरू हुए ई रिक्शा

-2014 में 500 ई रिक्शा संचालित थे

-2018 में बढ़कर 14 हजार हो गए

-2023 में 29 हजार ई रिक्शा शहर में संचालित हो रहे हैं





इन जोन में संचालन का निर्णय

जाेन-ई-रिक्शा-कलर

झाेटवाड़ा-2500-लाल

सांगानेर-3500-नारंगी

मानसराेवर-3000-पीला

जगतपुरा-2500-भूरा

मालवीय नगर-3500-हरा

हवामहल-3000-ग्रे

सिविल लाइन-3500-मेहरुन

किशनपाेल-4000-गुलाबी

आदर्श नगर-3000-राॅयल ब्लू

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